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दिवाली सफ़ाई



कहाँ आसान होती है, 

दिवाली की सफ़ाई,,

कितनी चीज़ों से मोह छुड़ाना,,

कितनी यादों को फ़िर से जीना,,

फ़िर हमेशा के लिए भूल जाना,

कितने अपनेपन से सहेजे हुए लम्हों को,

घर से बाहर कर देना,,

फ़िर नए वक्त के लिए कुछ कसमें खाना,,

फ़िर कुछ अधूरे वादों का अफ़सोस मनाना,,

फ़िर रिश्तों को प्यार से सींचना,,

फ़िर से घरौंदे को करीने से सजाना,,

कुछ वक़्त तक उस सजावट को सहेजते रहना,,

फ़िर उसी पुराने हाल में लौट आना,,

सच,, बड़ी मुश्किल होती है,,

दिवाली की सफ़ाई।


हर बार सोच समझ के लाई गई चीज़ें भी 

स्टोर की शोभा बढ़ाती है,,

जब भी दिवाली आती है।

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