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कटी पतंग...


ऊँचे आसमान में चड़ी पतंग।

फड़फड़ा ती गोथे खाती पतंग।


दूर तक चाँद सितारों को छूने

का हौसला रखतीं पतंग।


हवाओं को चीर तेज़ गति से

एरोप्लेन सी उड़ती पतंग।


तुझे कभी पकड़ न पाएँ दाँये 

तो कभी बाँये इठलाती पतंग।


जब तक हाथ में डोर है तब 

तक का ही तेरा खेल है पतंग।


कट जाने के बाद गली शहरों 

तक का चक्कर लगाती पतंग।


अंत मे कचरा ही ठिकाना फिर 

भी दुनिया की शेर करती पतंग।

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