Hindi Poem - Ek din
(。♥‿♥。)
तुम कहती हो
मेरी याद मे जलती हो
मगर मै भी कहा रह पाता हू
मुझे भी तो तन्हा ही जलना होता है
हिजाब से उठती तुम्हारी नजरो से
चख़ लेता हुं शहद जिने का थोडा थोडा
और निभाता हुं एक रस्म जिने की
सोचता हूं किसी दिन
मिट्टी की खुश्बू बन कर
समा जाऊंगा तुम्हारी सांसो मे...
या फिर...
अब्र ही बनकर बरसूंगा
तुम्हारे तन पर, और....
क़तरा क़तरा उतर कर,
दौडता रहूंगा तेरी रगो मे...
फिर जा मिलुंगा तेरी रुह से
तुम्हे पता भी नहीं चलेगा
इस तरहा मिल जाउंगा,
तुम्हारी रुह से...
एक दिन...
(。♥‿♥。)
-Ritesh Sharma

Awesome 😇
ReplyDeleteWow
ReplyDelete👍👍👍👍👍
ReplyDeleteEk din 👌👌
ReplyDeleteMind blowing 😍😍😍👏👏👏👏
ReplyDeleteniceone
ReplyDeletepyaar pyarrr
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